।।श्री पुष्पदन्तनाथ आरती।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी, प्रभु जय पुष्पदन्त स्वामी।
आरती तुमरी उतारूँ, हो अन्तर्यामी।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी... 2
जयरामा है मात आपकी, पितु सुग्रीव कहाय।
क्षत्रिय कुल इक्ष्वाकु वंश में, काश्यप गोत्र सुहाय।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
काकन्दी नगरी में जन्में, वैभव था भारी।
राज्य त्याग कर सहस्त्र नृपति संग, मुनि दीक्षा धारी।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
उल्कापात देख कर प्रभु ने, अथिर लखा संसार।
भये दिगम्बर करि तपस्या, राग- द्वेष को टार।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
श्री सम्मेद शिखर से प्रभु जी, आप गए निर्वाण।
भादव सुदी अष्टमी के दिन, पाया मोक्ष महान।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
सुविधिनाथ भी नाम तुम्हारा, भक्तों के मन भाय।
तिरे आप जग जन को तारा,तारण-तरण कहाय।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
पद्मासन में आप विराजे, नासा दृष्टि सुहाय।
अतिशयकारी अति मनोज्ञ तुम, सौम्य मूर्ति सुखदाय।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
सवा लाख जो जाप जपे प्रभु, मनवांच्छित फल पाय।
सेवक शरण तुम्हारी आया, चरणों शीश नवाय।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी, प्रभु जय पुष्पदन्त स्वामी।
आरती तुमरी उतारूँ, हो अन्तर्यामी।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी... 2
जयरामा है मात आपकी, पितु सुग्रीव कहाय।
क्षत्रिय कुल इक्ष्वाकु वंश में, काश्यप गोत्र सुहाय।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
काकन्दी नगरी में जन्में, वैभव था भारी।
राज्य त्याग कर सहस्त्र नृपति संग, मुनि दीक्षा धारी।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
उल्कापात देख कर प्रभु ने, अथिर लखा संसार।
भये दिगम्बर करि तपस्या, राग- द्वेष को टार।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
श्री सम्मेद शिखर से प्रभु जी, आप गए निर्वाण।
भादव सुदी अष्टमी के दिन, पाया मोक्ष महान।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
सुविधिनाथ भी नाम तुम्हारा, भक्तों के मन भाय।
तिरे आप जग जन को तारा,तारण-तरण कहाय।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
पद्मासन में आप विराजे, नासा दृष्टि सुहाय।
अतिशयकारी अति मनोज्ञ तुम, सौम्य मूर्ति सुखदाय।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
सवा लाख जो जाप जपे प्रभु, मनवांच्छित फल पाय।
सेवक शरण तुम्हारी आया, चरणों शीश नवाय।।
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी...
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