बुधवार, 7 मार्च 2018

                             ।।देव स्तुति।।

वीतराग सर्वज्ञ हितंकर भविजन की अब पूरो आस |
ज्ञान भानु का उदय करो मम मिथ्यातम का होय विनाश ॥
जीवों की हम करुणा पाले, झूठ वचन नहीं कहें कदा |
परधन कबहूँ न हरहूँ स्वामी, ब्रह्मचर्य व्रत रखें सदा ॥
तृष्णा लोभ बढ़े न हमारा, तोष सुधा निधि पिया करें |
श्री जिनधर्म हमारा प्यारा उसकी सेवा किया करें |
दूर भगावें बुरी रीतियाँ, सुखद रीति का करें प्रचार |
मेल-मिलाप बढ़ावे हम सब, धर्मोन्नति का करें प्रचार ॥
सुख-दुख में हम समता धारे, रहे अचल जिमि सदा अटल |
न्याय मार्ग का लेश न त्यागें, वृद्धि करें निज आतम बल ॥
अष्ट करम जो दुःख हेतु हैं, उनके क्षय का करें उपाय |
नाम आपका जपें निरन्तर, विघ्न शोक सब ही टल जाय ॥
आतम शुद्ध हमारा होवे, पाप मैल नहीं चढ़ें कदा |
विद्या की हो उन्नति हममें, धर्म ज्ञान हूँ बढ़े सदा |
हाथ जोड़कर शीश नवावें, तुमको भविजन खड़े-खड़े |
य सब पूरो आश हमारी चरण-शरण में आन पड़े ॥

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