मंगलवार, 13 मार्च 2018

                  ।।गोम्मटेश भजन।।

हे सर्वत्यागी, हे वीतरागी,
हे गोम्मटेशं तुभ्यं नमोस्तु।

हे आदिपुत्रं हे ज्ञानवृत्तम
हे जगहितेशं तुभ्यं नमोस्तु।

हे नीलकमलं हे वर्णविमलं
हे श्यामकेशं तुभ्यं नमोस्तु।

हे धनुषभृकुटि हे शान्तनयनं
हे दृष्टि नासा तुभ्यं नमोस्तु।

हे मौनअधरं हे लम्बकर्णम्
हे दिव्य ग्रीवा तुभ्यं नमोस्तु।

हे विंध्यवासी घट घट प्रवासी
न रागिद्वेषम तुभ्यं नमोस्तु।

हे मात कालल के वीर बालक
चामुंडरायं तुभ्यं नमोस्तु।

हे नेमिचन्द्रम जिन चन्द्रस्वामी
हे विंध्य गिरिवर तुभ्यं नमोस्तु।

हे प्रतिमा योगी हे कामदेवं
हे पुण्यशाली तुभ्यं नमोस्तु।

हे निर्विकारी वैराग्यधारी
मुद्रा तुम्हारी तुभ्यं नमोस्तु।

हे नाथ नारायण वासुदेवं
हे सर्वपूज्यम तुभ्यं नमोस्तु।

हे विंध्य गिरी पर प्रतिमा तुम्हारी
अप लख निहारी तुभ्यं नमोस्तु।

जय जय जय जय गोम्मटेशं......

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