शिवपुर पथ परिचायक जय है सन्मति युग निर्माता,
गंगा कल-कल स्वर से गाती तब गुण गौरव गाथा।
सुर-नर-किन्नर तब पदयुग में नित-नत करते माथा,
हम भी तब यश गाते सादर शीश झुकाते है नाथा।
दुखहारक सुखदायक जय है सन्मति युग निर्माता,
जय है जय है जय है जय जय जय जय है.....
मंगलकारक दयाप्रचारक स्वर्ग पशु नर उपकारी,
भविजनतारक कर्मविदारक सब जन तब आभारी।
जब तक रवि-शशि तारे तब तक गीत तुम्हारे है नाथा,
चिर सुख शांति विधायक जय है सन्मति युग निर्माता।
जय है जय है जय है जय जय जय जय है.....
भ्रात भावना भुला परस्पर लड़ते है जो प्राणी,
उनके उर में विश्व प्रेम फिर भरे तुम्हारी वाणी।
सबमें करुणा जागे जग से हिंसा भागे है नाथा
है गुण जय दुखत्रायक जय है सन्मति युग निर्माता।
जय है जय है जय है जय जय जय जय है.....
।।जय जिनेन्द्र।।
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